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DOSTI INDUSTRY GAJNER

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Welcome to DOSTI INDUSTRY रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं  चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं  मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं  कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं  ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं 
BADSHAH KHAN DOSTI INDUSTRY

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Welcome to DOSTI INDUSTRY GAJNER वफ़ा को आज़माना चाहिए था, हमारा दिल दुखाना चाहिए था आना न आना मेरी मर्ज़ी है, तुमको तो बुलाना चाहिए था हमारी ख्वाहिश एक घर की थी, उसे सारा ज़माना चाहिए था मेरी आँखें कहाँ नाम हुई थीं, समुन्दर को बहाना चाहिए था जहाँ पर पंहुचना मैं चाहता हूँ, वहां पे पंहुच जाना चाहिए था हमारा ज़ख्म पुराना बहुत है, चरागर भी पुराना चाहिए था मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिए था चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था तेरा भी शहर में कोई नहीं था...
BADSHAH KHAN DOSTI INDUSTRY GAJNER

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Welcome to DOSTI INDUSTRY सर पर बोझ अँधियारों का है मौला खैर और सफ़र कोहसारों का है मौला खैर दुशमन से तो टक्कर ली है सौ-सौ बार सामना अबके यारों का है मौला खैर इस दुनिया में तेरे बाद मेरे सर पर साया रिश्तेदारों का है मौला खैर दुनिया से बाहर भी निकलकर देख चुके सब कुछ दुनियादारों का है मौला खैर और क़यामत मेरे चराग़ों पर टूटी झगड़ा चाँद-सितारों का है मौला खैर

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