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By Engineer Badshah
Thu, 10-Sep-2020, 16:57

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कब्र रोजाना ये कहती है पुकार written to DOSTI INDUSTRY GAJNER

कब्र रोजाना कहती हैं पुकार 

Written by Badshah Khan gajner


(क़ब्र रोज़ाना येह करती है पुकार)


?हज़रते सय्यिदुना फ़क़ीह अबू लैष समरक़ंदी रज़ि०) नक़ल फ़रमाते हैं क़ब्र रोज़ाना पांच मरतबा येह निदा करती है_

ऐ आदमी! तू मेरी पीठ पर चलता है हालांकि मेरा पेट तेरा ठिकाना है।

ऐ आदमी! तू मुझ पर उमदा उमदा खाने खाता है अन क़रीब मेरे पेट में तुझे कीड़े खाएंगे।

ऐ आदमी! तू मेरी पीठ पर हंसता है जल्द ही मेरे अन्दर आ कर रोएगा।

ऐ आदमी! तू मेरी पीठ पर खुशियां मनाता है अन करीब मुझ में गमगीन होगा।

ऐ आदमी! तू मेरी पीठ पर गुनाह करता है अन करीब मेरे पेट में मुब्तलाए अज़ाब होगा।

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➤क़ब्र रोज़ाना येह करती है पुकार,

मुझ में है कीड़े मकोड़े बे शुमार,

याद रख में हूं अंधेरी कोठरी,

मुझ में सुन वहशत तुझे होगी बड़ी,

मेरे अन्दर तू अकेला आएगा,

हां मगर आ'माल लेता आएगा,

तेरा फन तेरा हुनर ओहदा तेरा,

काम आएगा न सरमाया तेरा,

दौलते दुन्या के पीछे तू न जा,

आख़िरत में माल का है काम क्या,

दिल से दुन्या की मुहब्बत दूर कर,

दिल नबी के इश्क़ से मा'मूर कर,

लन्दनो पेरिस के सपने छोड़ दे,

बस मदीने ही से रिश्ता जोड़ ले।

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?हज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन उबैद रज़ि०) से रिवायत है जब मुर्दे के साथ आने वाले लौट कर चलते हैं तो मुर्दा बैठ कर उनके कदमों की आवाज़ सुनता है और क़ब्र से पहले कोई उस के साथ हम कलाम नहीं होता।

क़ब्र कहती है कि ऐ आदमी! क्या तूने मेरे हालात न सुने थे क्या मेरी तंगी, बदबू, होलनाक और कीड़ों से तुझे नहीं डराया गया था अगर ऐसा था तो फिर तूने क्या तय्यारी की।

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?हज़रते सय्यिदुना सुफ़्यान षौरी रह०) फ़रमाते हैं जो शख़्स क़ब्र का ज़िक्र ज़्यादा करे वोह उसे जन्नत के बागों में से एक बाग़ पाता है और जो उस की याद से गाफ़िल होता है वोह उसे जहन्नम के गढ़ों में से एक गढ़ा पाता है।

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?हज़रते सय्यिदुना उ़षमाने ग़नी रज़ि०) ने फ़रमाया मैंने सैय्यदुलमुरसलीन शफ़ीउ़ल मुज़निबीन रहमतुल्लिल आ़-लमीन ﷺ को फ़रमाते हुए सुना है कि बेशक आख़िरत की सबसे पहली मन्जिल क़ब्र है।

क़ब्र वाले ने इससे नजात पाई तो बाद का मुआ़मला आसान है और अगर इससे नजात न पाई तो बाद का मुआ़मला ज़्यादा सख्त है।

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➤खुदा की कसम! क़ब्र का अन्दरूनी मुआ़मला इन्तिहाई तशवीश नाक है।

कोई नहीं जानता कि मेरे साथ क्या होगा अल्लाह अज्जावजल्ला' के महबूब दानाए ग़ुयूब मुनज्ज़हुन अ़निल उ़यूब ﷺ का फ़रमाने इब्रत निशान है क़ब्र का मन्जर सब मनाज़िर से ज़्यादा होल नाक है।

?नेक बनने और बनाने के तरीक़े' पेज नं 416)

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?अभी से तय्यारी कर लीजिये_

मीठे मीठे इस्लामी भाइयों! वाक़ेई अक्ल'मन्द वोही है जो मौत से क़ब्ल मौत की तय्यारी करते हुए नेकियों का ज़ख़ीरा इकट्ठा कर ले और सुन्नतों का म-दनी चराग क़ब्र में साथ ले ले और यूं क़ब्र की रोशनी का इन्तिज़ाम कर ले वरना क़ब्र हरगिज़ येह लिहाज़ न करेगी कि मेरे अन्दर कौन आया अमीर हो या फ़कीर वजीर हो या मुशीर हाकिम हो या महकूम अफसर हो या चपरासी सेठ हो या मुलाजिम डॉक्टर हो या मरीज़ ठेकेदार हो या मजदूर। 'वग़ैरह!

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?मुझे अपनी और सारी दुनिया के लोगो के इस्लाह की कोशिश करनी है. إن شاء الله عزوجل

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?“बराये करम इस पैग़ाम को शेयर कीजिये अल्लाह आपको इसका अजर–ए–अज़ीम ज़रूर देगा आमीन..,_(►जज़ाकअल्लाह खैरन◄)

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✍अपने नेक दुआओ में याद रखें " बादशाह खान" गजनेर

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